श्री गणेशाय नमः
भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देव कहा जाता है और सूर्य देव
सभी ग्रहों की अशुभ दृस्टि से मुक्ति दिलाते है | इसलिए ज्योतिषी प्रतिकूल प्रभावों
से राहत पाने के लिए सूर्ये देव को पानी देने की सलाह देते हैं।
जल चढ़ाने की विधि:-
सूर्य देव को जल चढ़ाने का सबसे पहला नियम यह है कि हर
रोज सर्वप्रथम स्वयं स्नान आदि से निर्वत होकर सूर्योदय के समय जब सूर्य
लालिमा
युक्त
हो उस समय उनके
दर्शन
करके
ताम्बे
के लोटे
से अर्घ्य
देना
शुभ होता
है या
सुबह 7 बजे से पहले ही जल अर्पित करना चाहिए। सूर्य को जल अर्पण करने से ग्रह दोष दूर
होते है और राशिचक्र के सभी ग्रह मजबूत होते हैं।
दिशा :-
सूर्य देव को जल अर्पित करते समय स्वयं का मुँह पूर्व दिशा में ही होना चाहिए और अगर कभी पूर्व दिशा में सूर्य देव दृष्टिगत न हो तब भी पूर्व दिशा की ओर मुँह करके ही अर्घ्य देना चाहिए।
फूल और अक्षत:-
सूर्य देव को जल अर्पित करने के लिए अगर उसमें फूल और अक्षत का भी मिश्रण कर लेते हो तो आपको और विशेष लाभ प्राप्त हो सकते है |
वस्त्र:-
लाल वस्त्र धारण करके सूर्य देव को जल अर्पित करने और
धुप आदि दिखाने से सूर्य देव से उचित फलप्राप्त
किया जा सकता है |
सावधानियां: -
· अर्घ्य
देते समय हाथ सिर से ऊपर होने
चाहिए। ऐसा करने से सूर्य की
सातों किरणें शरीर पर पड़ती हैं।
सूर्य देव को जल अर्पित
करने से नवग्रह की
भी कृपा रहती है।
· सूर्यदेव
की तीन परिक्रमा करें।
· सूर्य
देव को चढ़ाए गए
जल को पैर स्पर्श
न करें।
· सूर्य
को अर्घ्य देते हुए ध्यान दें कि जल की
धारा क्रमिक होनी चाहिए।
· आप
अपने पौधों में सूर्य देवता का जल दे
सकते हैं इससे जल किसी के
पैरों के नीचे नहीं
आयेगा ।
· सूर्य
देव को अर्पित किए
गए जल में से
कुछ जल बचाएं और
इसे अपने हाथों में लेकर चारों दिशाओं में छिड़कें। ऐसा करने से हमारे आस-पास के वातावरण में
सकारात्मकता बनी रहती है ।
· अर्घ्य
देते समय हाथ सिर से ऊपर होने
चाहिए। ऐसा करने से सूर्य की
सातों किरणें शरीर पर पड़ती हैं।
सूर्य देव को जल अर्पित
करने से नवग्रह की
भी कृपा रहती है।
· सूर्यदेव
की तीन परिक्रमा करें।
· सूर्य
देव को चढ़ाए गए
जल को पैर स्पर्श
न करें।
· सूर्य
को अर्घ्य देते हुए ध्यान दें कि जल की
धारा क्रमिक होनी चाहिए।
· आप
अपने पौधों में सूर्य देवता का जल दे
सकते हैं इससे जल किसी के
पैरों के नीचे नहीं
आयेगा ।
· सूर्य
देव को अर्पित किए
गए जल में से
कुछ जल बचाएं और
इसे अपने हाथों में लेकर चारों दिशाओं में छिड़कें। ऐसा करने से हमारे आस-पास के वातावरण में
सकारात्मकता बनी रहती है ।
सूर्य मंत्र :-
नीचे दिए हुए मन्त्रों में से आप अपनी श्रद्धा केअनुसार सारे मंत्रो का भी उच्चारण सकते हो या फिर किसी एक मंत्र को भी अपनी सुविधा के अनुसार चुन सकते हो |
- ॐ मित्राय नमः
- ॐ रवये नमः
- ॐ सूर्याय नमः
- ॐ भानवे नमः
- ॐ खगाय नमः
- ॐ पूष्णे नमः
- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
- ॐ मरीचये नमः
- ॐ आदित्याय नमः
- ॐ सवित्रे नमः
- ॐ अर्काय नमः
- ॐ भास्कराय नमः
- ॐ श्री सवितृसूर्यनारायणाय नमः
सूर्य भगवान से अपनी अनजाने में हुई गलतियों के लिए अंत में क्षमा-याचना करना न भूले |
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय "
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