पारद शिवलिंग की महिमा
जीवन में जो मनुष्य सर्वश्रेष्ठ बने रहना चाहते हैं, जो व्यक्ति सामान्य घर में जन्म लेकर विपरीत परिस्थितियों में बड़े होकर सभी प्रकार की बाधाओं, कष्टों और समस्याओं के होते हुए भी जो जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं, या जो व्यक्ति आर्थिक , व्यापारिक और भौतिक दृष्टि से पूर्ण सुख प्राप्त करना चाहते हैं ,उन्हें अपने घर में “पारद शिवलिंग” की स्थापना करनी चाहिए , संसार के सभी साधक और योगी इस बात को एक स्वर से स्वीकार करते है, कि जो “ पारद शिवलिंग " की पूजा करता है , उसके समान अन्य कोई व्यक्ति सौभाग्यशाली नहीं कहा जा सकता ।
पारद - शिवलिगा के पूजन से जहां पूर्ण भौतिक सुख - सुविधाएं प्राप्त होती है , वहीं उसे जीवन में मोक्ष प्राप्ति भी निश्चित रूप से सुलभ रहती है । वैज्ञानिक दृष्टि से पारा या पारद द्रव्य पदार्थ है , इसे अंग्रेजी में मरकरी ' कहते हैं , इसमें अन्य किसी भी प्रकार के पदार्थ का सम्मिश्रण सम्भव नहीं , साथ ही इस पारे को ठोस आकार में बनाना अत्यन्त कष्ट साध्य है , और जब तक पारद ठोस आकार ग्रहण नहीं कर लेता , तब तक शिवलिंग का निर्माण सम्भव नहीं होता , परन्तु फिर भी रसायन के माध्यम से पारे को ठोस बनाया जा सकता है , और जब पारा ठोस स्वरूप ग्रहण करने लगता है , तब उसे शिवलिंग का आकार दे दिया जाता है , और बाद में वह इतना ठोस हो जाता है , कि उसके सामने शीशे की बनी गोली भी लचीली प्रतीत होती है ।
संसार के सुप्रसिद्ध योगी पूज्य गुरुदेव स्वामी सच्चिदा नन्द जी ने कहा है कि जो साधक पारद - शिवलिंग को अपने घर में रखकर उसकी पूजा करता है , या मात्र उसके दर्शन ही करता है , तो वह सभी पापों से मुक्त होकर अनेक सिद्धियों और धन - धान्य को प्राप्त करता हुआ पूर्ण सुख प्राप्त करता हैं , संसार में जितने भी शिवलिंग है , उन सबकी पूजा का फल केवल मात्र पारद शिवलिंग के दर्शन से ही प्राप्त हो जाता है । शास्त्रों के अनुसार रावण रससिद्ध योगी था , उसने पारद - शिवलिम " की पूजा कर शिव को पूर्ण प्रसन्न करअपनी नगरी को स्वर्णमयी बनाने में सफल हो सका था , बाणासुर ने पारद - शिवलिंग की पूजा कर उनसे मनोवां छित वर प्राप्त किया था , यह विवरण ‘ रुद्र - संहिता ' में स्पष्ट रूप से उल्लिखित है ।
अन्य शास्त्रों में भी इस बारे में जो विवरण प्राप्त होते , उससे यह स्पष्ट है , कि वास्तव में ही पारद शिवलिंग दुर्लभ है , और बिरले लोगों के घर में ही इस प्रकार के शिवलिंग स्थापित होते हैं । मैंने पिछले पांच वर्षों में इस प्रकार के रससिद्ध पारे ठोस बनाकर कई शिवलिंग बनाये हैं , और जिन जिन शिष्यों को या परिचितों को दिये है , वे सभी आज अच्छे स्तर पर हैं , और आश्चर्यजनक उन्नति की तरफ अग्रसर है , साधकों को इससे अपनी साधनाओं में पूर्ण सफलता मिली है , और व्यापारियों को इसकी वजह से जो आश्चर्यजनक उन्नति प्राप्त हुई है , वह उनके स्वय लिए चकित कर देने वाली है । नीचे मैं कुछ महत्वपूर्ण ग्रन्थों के विवरण दे रहा है । जिससे स्पष्ट होता है , कि पारद - शिवलिग कितना हो महत्वपूर्ण है
योगशिखोपनिषद:
रसलिगं महालिगं शिवशक्तिनिकेतनम्। लिगं शिवालयं प्रोक्त सिद्धिदं सर्वदेहिनाम ।।।
अर्थात् रसलिंग ही महालिग है , और इसे ही शिव शक्ति का घर या शिवालय कह सकते हैं , इसके प्राप्त होने से ही पूर्ण सिद्धि प्राप्त होती है ।
सर्व दर्शनसंग्रह:
अभ्रकं तव बीजं तु मम बीजं तु पारदः ।।बद्धो पारद लिगो यं मृत्यु दारिद्र्य नाशनम् ॥
अर्थात् भगवान शंकर स्वयं भगवती से कहते हैं , कि पारद को ठोसकर लिंगाकार स्वरूप देकर जो पूजन करता है। उसे जीवन में मृत्यु - भय व्याप्त नहीं होता , और किसी भी हालत में उसके घर में दरिद्रता नहीं पा पाती ।
रसरत्नसमुच्चय:
विधाय रसलिगयो भक्तियुक्तः समर्चयेत् । जगत्त्रितयलिगानां पूजाफल मवाप्नुयात ।।
अद्यत् जो भक्ति के साथ पारद शिवलिंग की पूजा करता है , उसे तीनों लोकों में स्थित शिवलिंग की पूजा का फल प्राप्त होता है , तथा उसके समस्त महा पाप नाश हो जाते हैं ।
रसार्णव - तन्त्र:
धर्मार्थकाममोक्षाख्या पुरुषार्थश्चतुविधा । सिध्यन्ति नात्र संदेहो रसराजप्रसादतः ।।
अर्थात् जो व्यक्ति पारद शिवलिंग की एक बार भी पूजा कर लेता है , उसे इस जीवन में ही घर्म , अर्थ , काम पौर मोक्ष रूपो चारों प्रकार के पुरुषार्थों की प्राप्ति हो जाती है।
स्वयम्भ लिंग सहसंयंत्फलं सम्यगचनात्। तत्फले कोटिगुणितं रसलिगार्चनाद्भवेत् ।।
अर्थात् हजारों प्रसिद्ध लिगों की पूजा से फल मिलता है , उससे करोड़ गुना फल पारद निर्मित शिवलिंग की पूजा से सहज ही में प्राप्त हो जाता है ।
शिव निर्णय रत्नाकर:
मृदः कोटिगुणं स्वर्ण , स्वर्णाकोटि गुणं मणिः । मणे : कोटिगुणं बाणो बाणाकोटिगुणं रसः । रसात्परतरं लिग न भूतो न भविष्यति ।।
अर्थात मिट्टी या पत्थर से करोड़ गुना अधिक फल स्वर्ण निर्मित शिवलिंग .के पूजन से मिलता है , स्वर्ण से करोड़ गुना अधिक मणि , और मणि से करोड़ गुना अधिक फल बाणलिंग नर्मदेश्वर के पूजन से प्राप्त होता है , नर्मदेश्वर बाणलिंग से भी करोड़ गुना अधिक फल पारद शिवलिंग के पूजन या दर्शन मात्र से ही प्राप्त हो जाता , पारद निर्मित शिवलिंग से श्रेष्ठ शिवलिंग न तो संसार में हुआ हैं , और न हो सकता है ।
रस मार्तण्ड:
लिंग कोटि सहस्रस्य यत्फलं सम्यगर्चनात् । तत्फलं काटिगुणित रसलिगार्चनाद् भवेत् ।। ब्रह्महत्यासहस्राणि गौहत्याशतानि च तत्क्षणाद्विलयं यान्ति रसलिगस्य दर्शनात स्वर्शना प्राप्यते मुक्तिरिती सत्यं शिवोदितम् ।।
अर्थात् हजारों करोड़ों शिवलिंग की पूजा करने से जो फल प्राप्त होता है , उससे भी करोड़ों गुना फल पारद शिवलिंग के पूजन से प्राप्त होता है , हजारों बह्म हत्या ! और सैकड़ों गौ हत्यायों का किया हुआ पाप भी पारद शिवलिंग के दर्शन करते ही दूर हो जाता है , स्पर्श करने से तो निश्चित रूप से मुक्ति प्राप्त होती है , वह स्वयं भगवान् शिव का कथन है । ।
ब्रह्म पुराण:
धन्यास्ते पुरुष : लोके येऽर्थयन्ति रसेश्वरम् सर्वपापहरं देव सर्व कामफलप्रदम् ब्राह्मणाः क्षत्रियाः वैश्या स्त्रियः शुद्रान्त्यजादयः । सम्पूज्य तं सुरवरं प्राप्नुवन्ति परां गतिम्
अर्थात् संसार में वे मनुष्य धन्य हैं , जो समस्त मनोवांछित फलों को देने वाले पारद - शिवलिंग का पूजन करते हैं , इसका पूजन ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य , सूद , स्त्री या अन्य कोई भी करके पुर्ण भौतिक सुख प्राप्त करता हुआ परम गति को प्राप्त कर सकता है ।
ब्रह्मवैवर्त पुराण:
पच्यते कालसूत्रेण यावच्चन्द्रदिवाकरौ । कृत्वालिग सकृत् पूज्य वसेत्कल्पशतं दिवि ।। अजावान भूमिवान विद्वान पुत्रबान्धववास्तथा ।। ज्ञानवान् मुक्तिवान् साधुः रस लिगार्चनाद् भवेत् ।।
अर्थात् जो एक बार भी पारद - शिवलिंग का विधि विधान से पूजन कर लेता है , वह जब तक सूर्य और चन्द्र रहते हैं , तब तक पूर्ण सुख प्राप्त करता है , उसके जीवन में धन , यश , मान , पद , प्रतिष्ठा , पुत्र , पौत्र , विद्या , आदि में कोई कमी नहीं रहती और अन्त में वह निश्चय ही मुक्ति प्राप्त करता है ।
शिवपुराण:
गोघ्नश्चैव कृतघ्नश्च वोरहा भूणहापिवा । शरणागतघाती च मित्र विश्रम्भघातकः ।। दुष्टपापसमाचारो मातृपितहापि वा । अर्चनात , रसलिगेन तत्तत्पापात , प्रमुच्यते ।।
अर्थात् गौ - हत्यारा कृतघ्न , वीरघाती , गर्भस्थ शिशु की हत्या करने वाला तथा माता - पिता का घातक भी यदि पारद - शिवलिंग की पूजा करता है , तो वह तुरन्त सभी पापों से मुक्त हो जाता है ।
वायवीय संहिता:
आयुरारोग्यमैश्वर्य यच्चान्यदपि वांछितम् ।। रसलगस्यार्चनादिष्टं सर्व लभते नरः ।।
अर्थात् आयु , आरोग्य , ऐश्वर्य तथा और जो भी मनोवांछित वस्तुए हैं , उन सबको पारद - शिवलिंग की पूजा से सहज में ही प्राप्त किया जा सकता है । इसके अलावा भी सैकड़ों ग्रन्थों में पारद - शिवलिंग । की विशेषताएं बताई है , भगवान शंकर ने स्वयं कहा है , कि मुझे वह व्यक्ति ज्यादा प्रिय है , जो द्वाद्वश ज्योतिलिंग दर्शन करने की अपेक्षा मात्र पारद - शिवलिंग के दर्शन कर लेता है । ।
पारद शिवलिंग आद्रता रहित , निश्चल , छि पक्षरहित , श्वेत लिगाकार होना चाहिए , और ऐसा शिवलिंग शास्त्र सम्मत होना आवश्यक है , क्योंकि शिव लिग और उसके आधार का एक निश्चित परिमाण है , यह कार्य केवल " विजय - काल में ही सम्पन्न करना चाहिए और इस प्रकार श्रेष्ठ समय में पारे को रससिद्ध करके उसे ठोस बनाने की प्रक्रिया करनी चाहिए , साथ ही साय शिवलिंग का आकार भी विजय काल में ही सम्पन्न करना चाहिए ।
इसके बाद श्रेष्ठ मुहूर्त में पारद - शिवलिंग की मुद्रा बन्ध , अर्चन , प्राग - प्रतिष्ठा, मन्त्र सिद्ध , रस - सिद्ध करना चाहिए , ऐसा होने के बाद संजीवनी मुद्रा मन्त्र में उसे प्रभाव पूर्ण बनाना चाहिए , एसा होने पर ही पारद शिवलग दुर्लभ शिवलिंग बनता है । भारत में बहुत ही कम सौभाग्यशाली व्यक्तियों के घर में ऐसा शिवलिंग पाया जाता है । जब भाग्य होता है , तभी इस प्रकार का ज्ञान प्राप्त होता है , जब सौभाग्य का उदय होता है , तभी व्यक्ति इस प्रकार का पारद - शिवलिंग प्राप्त करता है , वस्तुतः वे व्यक्ति और उनकी पीढियां धन्य है , जिनके घर में देव - दुर्लभ पारद - शिवलिग स्थापित है ।
शास्त्रों के अनुसार पारद - शिवलिंग को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है , और पारद शिवलिंग के पूजन से उन लोगों ने उन असम्भव कार्यों को भी सम्भव कर दिखाया है , जो उसके लिए सम्भव नहीं थे ऐसे व्यक्ति दरिद्रता के घर में जन्म लेकर भी प्रसिद्ध उद्योग पति और लक्ष्मीपति होते देखे गये हैं , संसार में और सभी मन्त्र - तन्त्र झूठे हो सकते हैं , पर ऐसा एक भी उदाहरण प्राप्त नहीं है कि किसी के घर में पारद - शिवलिंग स्थापित हो , और उसके जीवन में पूर्णता प्राप्त न हुई हो । जिसके घर में पारद - शिवलिंग होता है , वह घर तीर्थ के समान माना जाता है, और उसमें रहने वालों के समस्त कार्य सुविधापूर्वक सम्पन्न होते रहते हैं , ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में पूर्ण भोग भोगते देखे गये हैं , ऐसे घरों से नित्य मंगलदायक समाचार प्राप्त होते रहते हैं , जीवन में अभाव या न्यूनता नहीं रहती , अपितु उनकी सारी इच्छाएं स्वतः ही पूरी होती रहती है । वास्तव में ही जिसके तप , ज्ञान द्वारा पाप क्षीण होते हैं , उनको ही पारद - शिवलिंग की पूजा का सौभाग्य प्राप्त होता है । हो सकता है , आज के इस अनास्थावान युग में यह बात विश्वसनीय प्रतीत नहीं हो रही हो, पर यह उनका दुर्भाग्य ही है कि वे सही रूप में सोच ही नहीं पाते ।
पारद शिवलिंग अपने आप में दुर्लभ शिवलिंग है , बिना प्रसिद्ध योगी या गुरु के इस प्रकार का शिवलिंग प्राप्त नहीं हो पाता और भाग्य से ही रस सिद्ध पारद - शिवलिंग घर में स्थापित हो पाता है ।
इस जीवन में धन तो आता जाता रहता है , परन्तु जीवन का सौभाग्य उदय होने पर ही व्यक्ति सही निर्णय कर पाता है और प्रयत्न करके अपने घर में पारद शिवलिंग स्थापित कर पाता है , जिससे वह तो पूर्ण भोग और मोक्ष प्राप्त करता ही है , उसकी आगे की पीढ़ियां उसके प्रति कृतज्ञ रहती हैं , जिसकी वजह से उनके घर में पारद - शिवलिंग स्थापित हो सका । आज के इस युग में भी पारद - शिवलिंग एक चमत्कार है , एक श्रेष्ठ साधना है , एक आश्चर्यजनक सफलतादायक उपाय है।।
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः"
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